ज़िंदगी हिसाब मांगती है
वो मुझसे गुलाब मांगती है ।
कैसे उसको दे दूँ भला वो
दिल की किताब मांगती है ।
यूं तो मुझको भी चाहिये पर
वो प्यार बेहिसाब मांगती है।
यूं तो इक उम्र निकल चुकी
वो पुराना शवाब मांगती है ।
उसको चांदनी रात चाहिये
मुझसे वो माहताब मांगती है।
जो पास हैं उसके उलझे सवाल
उनका मुझसे जवाब मांगती है।
मुझसे पर्दा करने के लिये देखो
मुझसे ही वो नकाब मांगती है ।
मुझे आँखों से पिलाती है रोज
फिर मुझसे ही शराब मांगती है। 🌷
वो मुझसे गुलाब मांगती है ।
कैसे उसको दे दूँ भला वो
दिल की किताब मांगती है ।
यूं तो मुझको भी चाहिये पर
वो प्यार बेहिसाब मांगती है।
यूं तो इक उम्र निकल चुकी
वो पुराना शवाब मांगती है ।
उसको चांदनी रात चाहिये
मुझसे वो माहताब मांगती है।
जो पास हैं उसके उलझे सवाल
उनका मुझसे जवाब मांगती है।
मुझसे पर्दा करने के लिये देखो
मुझसे ही वो नकाब मांगती है ।
मुझे आँखों से पिलाती है रोज
फिर मुझसे ही शराब मांगती है। 🌷
